ॐ जय शांतिनाथ स्वामी - हो प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी
मन वच तन से बन्दों - जय अंतरयामी ॥ ॐ जय
गर्भ जन्म जब हुआ आपका तीन लोक हर्षे
इन्द्र कियो अभिषेक शिखर पर शिवमग के स्वामी ॥ ॐ जय
पंचम चक्री भये आप ही षटखंड के स्वामी
राज्य वैभव को भोगे कामदेव नामी ॥ ॐ जय
अतुल वैभव को त्रणवत त्यागे हुए कर्म नाशी
भये आप तीर्थंकर शिव रमणी स्वामी ॥ ॐ जय
वीर सिन्धु को नमस्कार कर तव आरती स्वामी
सूरज शिवपुर पावो महा सुख धामी ॥ ॐ जय